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आखिर कब छूटेगी आग लगने पर कुआं खोदने की आदत !, कोरोना की दस्तक हो गई, मगर पीबीएम तैयार नहीं

  • 3 मरीज भी कोरोना के मिल गये, मगर तैयारियां सिफर
  • कोरोना जांच की किट ही नहीं, तो जांच कैसे होगी
  • किट आने में लगेंगे 15 दिन, पीड़ित भगवान भरोसे

अभिषेक पुरोहित

RNE Special.

देश में एक बार फिर कोरोना ने दस्तक दे दी है। धीरे धीरे मरीजों की संख्या भी देश में बढ़ रही है। माना जा रहा है कि इस बार का वेरिएंट ज्यादा पैनिक नहीं है। मगर ये भी सच है कि इससे कुछ मौत भी हुई है। इस कारण इसको लेकर लापरवाही तो बरती नहीं जा सकती, नहीं तो मुश्किल खड़ी हो जायेगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में कोरोना की दस्तक होते ही एडवाइजरी जारी कर दी राज्यों को। राज्यों को उसके अनुसार तैयारी भी करनी जरूरी थी। मगर यही चूक हो गई।

बीकानेर में कोरोना दस्तक:

बीकानेर में कोरोना भी राज्य के साथ कोरोना की दस्तक हुई तो यहां के स्वास्थ्य विभाग व पीबीएम प्रशासन की सांसें फूल गयी। 3 कोरोना मरीज पाए गए। अब पीबीएम और स्वास्थ्य विभाग ने सार संभाल शुरू की तो, पसीने छूट गये। कुछ भी तो तैयारी नहीं थी, ये देख सकते में आ गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी को तुरंत मान सक्रिय हो जाते तो हाथ पांव भी नहीं फूलते।

कोरोना जांच किट नहीं:

जब कोरोना मरीज आये तो सार संभाल की। डरावनी बात सामने आई कि पीबीएम या मेडिकल कॉलेज में कोरोना जांच की किट तक नहीं है। कैसे इस रोग का पता चले। पहली जांच तो कहीं से जांच किट मंगवाकर की। बाकी तो अब जांच ही नहीं हो रही।

जांच किट मंगवाने की प्रक्रिया शुरू की, अब ये किट आने में तो करीब 15 दिन का समय लगेगा। तब तक मरीज भगवान भरोसे। जांच कैसे होगी? आग लगी है तब मेडिकल कॉलेज, पीबीएम व स्वास्थ्य महकमे ने कुआं खोदना शुरू किया है। पानी निकलेगा तब आग बुझाएंगे, तब तक तो आग से नुकसान झेलना ही पड़ेगा। ये जनता के साथ अन्याय नहीं है तो क्या है।

दवाओं की भी आपूर्ति कम:

इस रोग से बचाव के लिए प्रबंध के निर्देश भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिए। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक की और निर्देशों की पालना का फरमान दिया। मगर दवाएं, अन्य साधन अभी तक भी मुक्कमिल तौर पर पूरे नहीं। सम्भाग का सबसे बड़ा अस्पताल है पीबीएम। जाहिर है, पूरे संभाग से यहां मरीज आ सकते है। इस सूरत में वार्डो की, दवा की, जांच किट की कुछ भी व्यवस्था नहीं है।

जन प्रतिनिधि भी जागने जरूरी:

बीकानेर का प्रतिनिधित्व करने वाले जन प्रतिनिधियों को भी इस तरफ ध्यान देना चाहिये था। केवल सिफारिशी फोन करना पर्याप्त नहीं। मास लेवल पर कोरोना जैसी बीमारियों से लड़ने के प्रबंध भी देखने चाहिए। वो नहीं देखे गए, तभी तो स्वास्थ्य विभाग ने आग लगने के बाद कुआं खोदना शुरू किया।

जिला प्रशासन भी देखे हालात:

संभागीय आयुक्त व जिला प्रशासन को भी अब इस मामले में सक्रिय होना चाहिए। जनता की रक्षा उनका पहला दायित्त्व है, जो उसमें लापरवाही बरते उसे पकड़े और व्यवस्था दुरस्त करे।